अस्पताल में डायलसिस कराने आए मरीज को मिली लाईलाज बीमारी एचआईवी, सदमे में है परिवार

 


अस्पताल में डायलसिस कराने आए मरीज को मिली लाईलाज बीमारी एचआईवी, सदमे में है परिवार


गृहमंत्री अनिल विज के गृह जनपद के नागरिक अस्पताल में डायलिसिस करवाने के लिए आए मरीज को मुफ्त में एचआईवी एड्स नाम का लाइलाज मर्ज मिल गया। पहले से ही जिंदगी और मौत से जूझ रहे मरीज को एचआईवी ग्रस्त कर दिया गया। मरीज अपनी छह बहनों का इकलौता भाई है। बात यहीं खत्म नहीं हुई। इतने सब के बावजूद अस्पताल के डाक्टरों का दिल नहीं पसीजा। उन्होंने यह कहकर उसे पीजीआई-32 चंडीगढ़ रेफर कर दिया कि यहां एचआईवी ग्रस्त मरीजों की डायलसिस नहीं होती।


 

यहां से रेफर होकर मरीज जब पीजीआई-32 चंडीगढ़ पहुंचा तो वहां भी उसकी डायलसिस करने से इंकार कर दिया गया और वापस उसे अंबाला छावनी अस्पताल रेफर कर दिया गया। लिहाजा अब मरीज के साथ उसके तीमारदार भी फुटबाल बन गए हैं। सोमवार शाम परिजन पीजीआई-32 से दोबारा छावनी अस्पताल पहुंचे, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई और मरीज तड़पने लगा तो परिजनों के सब्र का बांध टूट गया और रात करीब नौ बजे उन्होंने अस्पताल के स्टाफ को आड़े हाथ लेकर जमकर रोष जताया।

कैसे हुआ मरीज को एचआईवी, दूसरों की जान भी आफत में.....
एक मरीज को एचआई की पुष्टि होने के बाद अब दूसरे मरीजों की सांसे भी अटक गई हैं। छावनी के नागरिक अस्पताल में रोजाना करीब 30 से 35 मरीजों की डायलसिस होती है। ऐसे में एक मरीज को यहां से एचआईवी की सौगात मिलने से इन सभी की सांसे भी अटक गई हैं। बता दें कि डायलसिस के दौरान मरीज को खून चढ़ाना पड़ता है।

अब पत्नी के साथ परिजनों की भी करवानी होगी स्क्रीनिंग
डायलसिस करवाने के दौरान एचआईवी से ग्रस्ति हुए यह मरीज शादी शुदा है। ऐसे में अब संभावनाएं इस बात की भी हो गई हैं कि उसकी पत्नी भी कहीं इस बीमारी की चपेट में न आ गई हो। ऐसे में पत्नी के साथ अब परिवार की स्क्रीनिंग भी अनिवार्य हो गई है।



काले पीलिया के भी बढ़ रहे केस


बता दें कि एक साल के भीतर यहां डायलसिस करवाने वाले 232 मरीजों को काला पीलिया भी हो गया है। काला पीलिया भी एचआईवी की तरह ही होता है। यह भी रक्त से रक्त के संपर्क में आने से ही होता है। हालांकि अब काले पीलिया के मरीजों के लिए अलग से डायलसिस की मशीनें मंगवाई गई हैं। इसी के साथ हेपेटाइट्स बी के मरीजों की डायलिसिस के लिए अलग से व्यवस्था कर दी गई है, लेकिन एचआईवी ग्रस्त मरीजों की कोई व्यवस्था नहीं है।

बिलखते परिजन बोले, हम तो उजड़ गए मंत्री से लगाएंगे गुहार
अंबाला से पीजीआई और पीजीआई से अंबाला फुटबाल बन चुके मरीज और उसके परिजनों ने बिलखते हुए अपना दर्द बताते हुए कहा कि हम तो उजड़ गए। छह बहनों का एक ही भाई है। नारायणगढ़ हलके से यह मरीज संबंध रखता है। मरीज की पत्नी ने कहा कि उसके पति को यहीं एचआईवी हुआ है। क्योंकि तीन महीने पहले ही उन्हें यह पता चला था कि उसके पति की दोनों किडनियां फेल हो गई हैं। इसके बाद पहली बार ही अंबाला छावनी अस्पताल से ही पहली बार डायलसिस करवाया था। उसके बाद से लगातार यहीं से डायलिसिस करवाने आ रहे थे।

30 जनवरी को पता चला था एड्स
मरीज की पत्नी ने बताया कि जब वह 30 जनवरी को यहां डायलिसिस करवाने आए थे तब उन्हें पता चला था कि उसके पति को एड्स हो गया है। यहां के डाक्टर ने उसके पति को पीजीआई 32 में डायलिसिस के लिए भेज दिया लेकिन 32 में एचआईवी मरीजों के डायलिसिस के लिए मशीन नहीं हैं। इसीलिए उन्होंने उसे वापस अंबाला भेजा दिया। पत्नी ने बताया कि उनसे प्राइवेट अस्पताल संचालकों ने डायलसिस के अब 80 हजार रुपये मांग लिए हैं ऐसे में इतने पैसे वह नहीं दे सकते।

नोडल अधिकारी ने नहीं उठाए फोन
इस बारे में जब नोडल अधिकारी डाक्टर विनय जोकि कार्यवाहक एसएमओ भी हैं उन्होंने फोन नहीं उठाया हालांकि उनके नंबर पर घंटी बजती रही।

हमने जब मरीज के टेस्ट करवाए तब हमें पता चला कि उसे एचआईवी हो गया है। हमारे पास एचआईवी की मशीन नहीं है जिससे डायलसिस कर सकें। इसीलिए उसे रेफर करना पड़ा। यह मामला हमने अस्पताल प्रबंधन के आलाधिकारियों के संज्ञान में डाल दिया है। हो सकता है कि हमारे पास से करवाने के बाद मरीज ने कहीं बाहर से डायलिसिस करवा लिया हो।
- नाजबीर, प्रबंधक, डायलसिस विभाग।